भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ब्लैक-बोर्ड / ज्यून तकामी
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:00, 7 दिसम्बर 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=ज्यून तकामी |संग्रह=पहाड़ पर चढ़ना चाहते हैं सब / ज्...)
|
अस्पताल के हमारे इस कमरे में
परदे सफ़ेद हैं
शाम का डूबता हुआ सूरज
उनमें रंग भरता है
यह कमरा बिल्कुल वैसा ही है
जैसे हमारे स्कूल का कमरा था
मुझे याद आते हैं अपने वे अध्यापक
अंग्रेज़ी पढ़ाते थे जो हमें
ब्लैक-बोर्ड को ढंग से साफ़ करके
अपनी बगल में दबाकर क़िताब
हमसे विदा लेते थे वे--
"फिर मिलेंगे, दोस्तो !"
जब कक्षा से बाहर निकलते थे वे
शाम के डूबते हुए सूरज की रोशनी
उनके कंधों पर लहराती थी
मैं भी जाना चाहता हूँ जीवन से
सब कुछ पूरी तरह साफ़ कर
"फिर मिलेंगे, दोस्तो !" कहते हुए
वैसे ही जैसे मेरे अध्यापक
पाठ ख़त्म करके कक्षा से निकलते थे