भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
करवा चौथ / हरकीरत हकीर
Kavita Kosh से
Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:08, 31 मार्च 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरकीरत हकीर |संग्रह=दर्द की महक / हर...' के साथ नया पन्ना बनाया)
वह फिर जलाती है
दिल के फासलों के दरम्याँ
उसकी लम्बी उम्र का दिया ।
यह भी औरत की कैसी मज़बूरी है
कि जो दर्द देता है ,
मन से उसी के लिए
दुआ निकलती है ।