भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
चन्दनमन (भूमिका) / भावना कुँअर
Kavita Kosh से
Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:30, 11 अप्रैल 2012 का अवतरण ('डॉ भावना कुँअर का एक हाइकु देखें- ‘सुबक पड़ी कैसी थ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
डॉ भावना कुँअर का एक हाइकु देखें-
‘सुबक पड़ी कैसी थी वो निष्ठुर विदा की घड़ी क्षण का सत्य -क्षण की अनुभूति -सद्य प्रभाव और शाश्वत सत्य की ओर संकेत-कितना स्पष्ट एवं मनोरम चित्र है ! यह ‘विदा’ किसी विशेष रिश्ते से नहीं बँधी है-अपार विस्तार है -माता,पिता ,भाई, बहन , बन्धु, प्रिय, परिजन -सभी इस विशाल दायरे में आकर समा गए हैं – केन्द्र -बिन्दु है-‘विदा की घड़ी’…अनुपम खूबसूरत हाइकु है