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एक उकताया / अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’
Kavita Kosh से
Mani Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:22, 22 मई 2013 का अवतरण
क्या कहें कुछ कहा नहीं जाता।
बिन कहे भी रहा नहीं जाता।1।
बे तरह दुख रहा कलेजा है।
दर्द अब तो सहा नहीं जाता।2।
इन झड़ी बाँधा कर बरस जाते।
आँसुओं में बहा नहीं जाता।3।
चोट खा खा मसक मसक करके।
भीत जैसा ढहा नहीं जाता।4।
थक गया, हाथ कुछ नहीं आया।
मुझ से पानी महा नहीं जाता।5।