अहुरिया / धूमकेतु
करेजक धुकधुकीक संग ई आबि गेली
आ धरती पर अबैत देरी आँगुर पकड़ा देलैन
तहियासँ अहर्निश जा रहल छी डेगाडेगी
ठण्डा, हिम-शीतल मरण-बाट बाटे
आत्महत्याक प्रक्रिया निमाहि रहल छी
(जकरा जीवन कहैत छैक)
जीबि रहल छी।
दूध पिआ क’ माइ आ अन्न चिखा क’ बाप
पोथी धोरवा क’ गुरू आ शोणित चटा क’ स्त्री
प्रीतसँ मीत आ रीतिसँ समाज
आ संजीवनीक हेतु अपस्याँत मृत्युंजय
घूलल हरिड़ा जामुन सनक बम भरभरा क’
सामूहिक मरण यज्ञमे सभ सक्रिय छथि
मौगीमे-मुद्रामे-मदिरामे अपनाकें तकैत छथि।
हमरा भय नहि होइत अछि
हमहीं ओकरा होइत छिऐ माने
क्षितिजक पलक-कोर पर जेना
खत्तामे डबरिआएल शोणित सनक
सूर्यक थम्हा देखने हेबै
तहिना हमर, आँखि क्षितिज धरि विस्फारित भ’ गेल अछि
आ भूगोलक डगमग डिम्हासे भरल,
सुसुम निर्मल रक्त पाराबारमे स्वयंभू (हम)
मकारादिमे अपनाकें तकैत छी
आत्महत्याक प्रक्रिया (जकरा जीवन कहैत छैक)
निमाहि रहल छी।