भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
'नुशूर' वाहिदी
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता २ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:38, 28 जून 2013 का अवतरण
'नुशूर' वाहिदी
क्या आपके पास चित्र उपलब्ध है?
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
जन्म | 1912 |
---|---|
निधन | 1983 |
जन्म स्थान | |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
'नुशूर' वाहिदी / परिचय |
आग़ोश-ए-रंग-ओ-बू के फ़साने में कुछ नहीं भला कब देख सकता हूँ के ग़म ना-काम हो जाए चिलमन से दो दामन के किनारे निकल आए हाथ से दुनिया निकलती जायेगी हसरत-ए-फैसला-ए-दर्द-ए-जिगर बाकी है मैं शाद हूँ तो ज़माने में शाद-मानी है सहर और शाम से कुछ यूँ गुज़रता जा रहा हूँ मैं यूँ ही ठहर ठहर के मैं रोता चला गया नई दुनिया मुजस्सम दिल-कशी मालूम होती है