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मोती मूँगे उतार बनमाला पोई / मीराबाई

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मोती मूँगे उतार बनमाला पोई॥

ऍंसुवन जल सींचि सींचि प्रेम बेलि बोई।

अब तो बेल फैल गई आणँद फल होई॥

दूध की मथनिया बडे प्रेम से बिलोई।

माखन जब काढि लियो छाछ पिये कोई॥

भगत देखि राजी हुई जगत देखि रोई।

दासी 'मीरा लाल गिरिधर तारो अब मोही॥