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इतियास / अर्जुनदेव चारण
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ओ क्यूं होवै मां
थारी जूण रा
पगोतिया चढतौ इतियास
चांणचक
होय जावै पांगळौ
अर
म्हनै लाधै
तालर/झाळां झिलियोड़ौ
म्है कीकर बाचूं
ओ अधूरौ इतियास
इण मांय
थारी जूण तौ है ई कोनी