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जतन / कमल रंगा
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आखर सूं आखर
घड़ूं सबद
ओळख रा
इण झाझै जतन
कदास
बचाय सकूंला
पड़ती मोळी
म्हारी साख
प्रीत
कविता
अर धरती।