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खोज - 1 / शशि सहगल

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शाम के वक़्त
थकी, अकेली चिड़िया
भरती है उड़ान
ताकती है आसमान
आतुरता से ढूँढ रही है अपना साथी
कहाँ हो
आवाज़ दो, आवाज़ दो