भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पून री लैरयां / भंवर भादाणी
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:04, 30 दिसम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भंवर भादाणी |संग्रह=थार बोलै / भंवर भादाणी }} [[Catego…)
जाणै है सगळा लोग -
तपते तावड़ै री तीख
ओकळती रेत रा
चड़का
अर
लू रा
झपट्टा
खोल राखी है
खिड़क्यां
इण भरौसे
कै
कदे ई
आवैला
ठण्डी पून री लैरयां ।