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म्हारो देवता / सतीश छींपा
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एक देवता मरग्यो
भोत पेलां
अर खुसगी पांखं
म्हारै नेहचै री ।
अबै कोई कहाणी कोनी बणै
ना ई कोई सबद ई जुडै सबद सूं
लागै जाणै
जिग्यां ई कोनी ऊबरी
म्हारै खातर
आं सबदां मांय
अर जे ऊबरिया है तो
फ़गत थोथा विचार !
म्हैं म्हारो
थकेलो लेय
पसर जावूं
निढाळ होय’र
सोच री बाथां में
देखूं म्हैं
म्हारै देवता नै
उण रै भोळापै नै
अर आंख्यां मांय़
बणती एक कहाणी नै....