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बाजरा कहे मैं बड़ा अलबेला / हरियाणवी

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

बाजरा कहे मैं बड़ा अलबेला

दो मूसल से लड़ूँ अकेला

जो तेरी नाजो खीचड़ा खाय

फूल-फाल कोठी हो जाए ।


भावार्थ


--'बाजरा कहता है, मैं बड़ा अलबेला हूँ । दो मूसलियों से अकेला ही लड़ लेता हूँ । यदि तेरी कोमलांगी पत्नी मेरी

खिचड़ी खाएगी तो वह भी फूल-फूल कर कोठरी सरीखी दिखाई देने लगेगी ।