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पतियारो / शिवराज भारतीय

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सलाम भाई
जावेद
थांरी रामरमी मिली
सोचूं
सो कीं बदळग्यो
रोळै हाळी साल पाछै
पण
घणो सकूल मिलै
जद पढूं
लाहौर सूं आयोड़ी
थांरी रामरमी नै
तो लागै
जाणै
फिंरगीयां रो किन्योड़ो बंटवारो
अमिट नीं है
आपां भी बदळ सकांला
कदैई
वारै बंटवारै नै।
स्यात्
फेरूं कदैई
रावी, चिनाब, झेलम
सिंधु, गंगा अर
जमना
गावैली
एक सुर में।
बिस्मिल्ला खां री सहनाई रै
मीठै-मधरै सुरां में
झूम उठैला
ऐके साथै
सलमा, रेषमा
लता अर आसा
‘ सारे जंहा से अच्छा
हिन्दोस्तां हमारा’
लिखणियां इकबाल जेडै़
गीतकारां रै गीतां नै
उगेरैला कदै
ढ़ाका सूं लेय‘र
करांची तांई रा मिनख।

हां जावेद भाई हां
म्हानै इण रो
पूरो पतियारो है
सो साल पैलां
आपांरा दादो‘सा
जद
नीं रैवण दिन्यो
कायम
फिरंगिया रै किन्योड़े
बंग-भंग नै
तो आपां
कद तांई सह सकांला
वारै ई किन्योड़ै
हिन्द-भंग नै
कद तांई ?