भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बीज ! / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:31, 17 फ़रवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कन्हैया लाल सेठिया |संग्रह=क-क्को कोड रो / कन्ह…)
ले लिया
पड़तां ही छांट
पग
धरती री गोदी में सूतो
बीज,
आग्यो
सिरजन रो खिण,
कोनी ढबै अबै
कठेई बीच में
जठै तांई बण‘र
पाछो बीज
नहीं कर देसी
आप रै आपै नै
बिसरजण !