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जरमन नैं गोला मारिया / हरियाणवी

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

जरमन नैं गोला मारिया,

ज फूट्या, था अम्बर मैं ।

गारद सें सिपाही भाजै

रोटी छोड़ गए लंगर मैं ।

अरे उन तिरिऊन का जीवै,

जिनके बालम छे नम्बर में ।


भावार्थ

--'जर्मन ने गोला मारा । आकाश में जाकर वह गोला फट गया । लंगर में रोटी खा रहे सिपाही अपनी-अपनी

रोटी छोड़कर भाग गए । अब क्या पता उन औरतों में से किस-किस के पति जीवित बचे होंगे, जिनके पति छह

नम्बर की पलटन में सिपाही हैं ?'