♦ रचनाकार: अज्ञात
जरमन नैं गोला मारिया,
ज फूट्या, था अम्बर मैं ।
गारद सें सिपाही भाजै
रोटी छोड़ गए लंगर मैं ।
अरे उन तिरिऊन का जीवै,
जिनके बालम छे नम्बर में ।
भावार्थ
--'जर्मन ने गोला मारा । आकाश में जाकर वह गोला फट गया । लंगर में रोटी खा रहे सिपाही अपनी-अपनी
रोटी छोड़कर भाग गए । अब क्या पता उन औरतों में से किस-किस के पति जीवित बचे होंगे, जिनके पति छह
नम्बर की पलटन में सिपाही हैं ?'