यौवन / फ़्रेडरिक होल्डरलिन
जब मैं किशोर था
अक्सर भगवान ने मेरी रक्षा की थी
मनुष्य के कोलाहल
और उसके दण्डों से ;
तब मैं खेलता था
प्रसन्न और सुरक्षित
वाटिका के फूलों के साथ
और स्वर्ग की मधुर हवाएँ
खेलती थीं मेरे साथ ।
जिस तरह तुम देते हो आनन्द
पौधों के हृदय को
जब वे फैलाते हैं
अपनी मृदु बाँहों को
तुम्हारी ओर
वैसे ही तुमने भर दिया था सुख से
मेरे मन को
हे पिता हील्योस !
और हे पवित्र लूना !
एण्डिमियोन के समान
मैं तुम्हारा प्यारा था !
हे विश्वसनीय और उदार
तुम सारे ही देवताओ !
यदि तुम जानते इतना ही
कैसे मेरी आत्मा
तुम्हें प्रेम करती है,
वैसे यह सच है,
उन दिनों मैं
तुम्हें नहीं पुकारता था
तुम्हारे नामों से
और न ही तुम मुझे
मेरे नाम से पुकारते थे,
जैसे लोग आपस में पुकारते हैं
एक दूसरे को
मानो वे जानते हैं एक-दूसरे को पूरा ही ।
तब भी मैं तुम्हें ज़्यादा जानता था
जितना कि मैंने उन मनुष्यों को जाना है ।
मैंने समझ लिया है
आकाश की ख़ामोशी को
पर नहीं जान पाया हूँ
मनुष्य के बोलों को ।
मरमर ध्वनि करते उपवन की एकतानता ने
पाला है मुझे
फूलों के बीच
मैंने सीखा है प्रेम करना ।
मैं बड़ा हुआ था देवों की बाहों में ।