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छियांसठ / प्रमोद कुमार शर्मा

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बठै तो हाथी, घोड़ा, पालकी
-सै हुसी
जठै बैकुंठ है सबदां रो
पछै म्हांनै कांई कमी है
पण म्हारी जीभ पर कायी क्यूं जमी है
अवस कोई
-भै हुसी
बठै तो हाथी, घोड़ा, पालकी
-सै हुसी।