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पिचाणवै / प्रमोद कुमार शर्मा
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मरतोड़ा जी उठ्या है सबद सूं
बरतां ई कोनी आपां बीं नै इमरत री ढाळ
-काळ
मरोड़ राखी है बीं री जीभ सांगोपांग
है मालक, खावै आटो मांग-मांग
अरे भाखा रा देवतो!
क्यूं भूलग्या रामजी अर सीता नैं
वेद, बाईबिल, कुरान अर गीता नैं
चालो सबद सरजीवण करां
-करां संभाळ!
बरतां ई कोनी बीं नैं इमरत री ढाळ।