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सावन का गीत / रमेश रंजक
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बना आम की गुठली का बाजा
खोल दिया मौसम का दरवाज़ा
           अब गली नदी बनेगी ।
             हमारी नाव चलेगी ।।
धरती पर लहराएगा पानी
हवा करेगी अपनी मनमानी
       कहीं बिजली चमकेगी ।
        हमारी नाव चलेगी ।।
गीत उठेंगे अँगड़ाई लेकर
पतनाले बोलेंगे छरर-छरर
       धरा की प्यास बुझेगी ।
        हमारी नाव चलेगी ।।
 
	
	

