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महानता की घिसटन / कुमार मुकुल

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पहले वे स्त्री लिखते हैं

उन्हें लगता है कि

देवी लिखा है उन्होंने

देवी एक महान शब्द

फिर वे स्त्री को

सिरे से पकडकर

घसीटते हैं

कोई आवाज नहीं होती

बस लकीर रह जाती है शेष


कलाकार बताते हैं

कि यह एक कलाकृति है

संगीतकार उसे साधता है

सातवें स्वर की तरह

नास्ति‍क उसमें ढूंढता है

चीख की कोई लिपि

कवि वहां की रेत में

सुखाता है अपने आंसू


अब कलाकार नास्ति‍क कवि और संगीतकार

सब महान हो उठते हैं


इस तरह

एक महान शब्द की

घि‍सटन से

महानता की संस्कृति

जन्म लेती है।

1996