भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

राजस्थानी भासा / कन्हैया लाल सेठिया

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज



मेवाड़ी, ढूंढाड़ी सागै
हाडोती, मरूवाणी,
सगळां स्यूं रळ बणी जकी बा
भासा राजस्थानी,

आप आप री मत थे हांको
निरथक खैंचाताणी,
मीरा लिखगी बीं नै मानो
भासा राजस्थानी,

रवै भरतपुर अलवर अळघा
आ सोचो क्यांताणी !
हिन्दी री मा सखी बिरज री
भासा राजस्थानी

खोटी सुण सुण सीख, गमावो
थे मत निज रो पाणी,
जनपद री बोल्यां है मिणियां
माळा राजस्थानी

इण्या गिण्या कीं सबदां नै ले
बिरथा बाध बधाणी,
घर में जगत में हांसी
मेटै राजस्थानी

कुण बरजै है पोखो सगळा
निज निज घर री वाणी,
आखो राजस्थान जोड़सी
भासा राजस्थानी।