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जागो प्यारे / अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’

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उठो लाल अब आँखें खोलो,
पानी लाई हूँ, मुँह धो लो।

बीती रात कमल-दल फूले,
उनके ऊपर भौंरे झूले।

चिड़ियाँ चहक उठी पेड़ों पर,
बहने लगी हवा अति सुदर।

नभ में न्यारी लाली छाई,
धरती ने प्यारी छवि पाई।

भोर हुआ सूरज उग आया,
जल में पड़ी सुनहरी छाया।

ऐसा सुंदर समय न खोओ,
मेरे प्यारे अब मत सोओ।