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बम का व्यास / येहूदा आमिखाई

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तीस सेंटीमीटर था बम का व्यास

और इसका प्रभाव पडता था सात मीटर तक

चार लोग मारे गए ग्यारह घायल हुए

इनके चारों तरफ एक और बड़ा घेरा है - दर्द और समय का

दो हस्पताल और एक कब्रिस्तान तबाह हुए

लेकिन वह जवान औरत जो दफ़नाई गई शहर में वह रहने वाली थी सौ किलोमीटर दूर आगे कहीं की वह बना देती है घेरे को और बड़ा और वह अकेला शख़्स जो समुन्दर पार किसी देश के सुदूर किनारों पर उसकी मृत्यु का शोक कर रह था - समूचे संसार को ले लेता है इस घेरे में


और मैं अनाथ बच्चों के उस रूदन का ज़िक्र तक नहीं करूंगा

जो पहुँचता है ऊपर ईश्वर के सिंहासन तक

और उससे भी आगे

और जो एक घेरा बनाता है बिना अंत और बिना ईश्वर का ।


इस कविता का अनुवाद : अशोक पांडे


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पिता की बरसी पर

अपने पिता की बरसी पर मैं गया उनके साथियों को देखने जो दफनाये गए थे उन्हीं के साथ एक कतार में यही थी उनके जीवन के स्नातक कक्षा

मुझे याद है उनमें से अधिकतर के नाम जैसे कि पिता को अपने बच्चे को स्कूल से घर लेट हुए याद रहते हैं उसके दोस्तो के नाम

मेरे पिता अब भी मुझसे प्यार करते हैं और मैं तो हमेशा ही करता हूँ उनसे इसीलिये मैं कभी रोता नहीं उनके लिए लेकिन यहाँ इस जगह का मान रखने की खातिर ही सही मैं ला चुका हूँ थोड़ी सी रुलाई अपनी आंखों में एक नजदीकी कब्र देख कर - एक बच्चे की कब्र " हमारा नन्हां योसी जब मरा चार साल का था।