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शव-साधना / अशोक कुमार शुक्ला
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प्रिये !
उन आन्तरिक आत्मीय क्षणों में
तुम्हारा प्रतिक्रिया शून्य और
निष्प्राण पडा रहना
विचलित करता है मुझे
सोचता हूं
क्या सचमुच
तुम आधा अंग हो मेरा ?
या
शव आसन की सी
तुम्हारी मुद्रा में
आधा अधूरा ही मै
कर रहा हूं
वात्सायन की शव साधना..!