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आदमी की बिसात / तारादत्त निर्विरोध

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सच सभी का कहा नहीं होता,
हादसा हर दफा नहीं होता ।

जख्मेदिल फिर हरा नहीं होता,
आजकल वो ख्ाफा नहीं होता ।

साँस लेने का मोल लेते हो,
इससे कोई नफा नहीं होता ।

जंदगी से कट के रह जाए,
वो कोई फलसफा नहीं होता ।

दर्द की बात फेर ही कीजे,
दर्द दिल से जुदा नहीं होता ।

आदमी की बिसात क्या होगी,
आदमी तो खुदा नहीं होता ।

उम्र भर ?निर्विरोध? रह के जिये,
वरना दुनिया में ?क्या नहीं? होता ?