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तू कहाँ है? / रामनरेश पाठक
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तू कहाँ है,
गीत ?
शुष्क मरू की एक पीड़ा
तू सजल था,
शून्य मन की एक गाथा
तू मधुर था,
तप्त पथ पर का सुधानिधि
तू कहाँ है,
मीत ?
दिग-दिगन्तों ध्वनि-प्रतिध्वनि
ढूंढती मुझको,
आ, तुझे भेंटूं हृदय भर
युगों के बिछड़े मिलें दो,
ओ, शिला की चेतना, आ,
गा,
कहाँ है तू,
गीत ?