भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बजी डफली रे / रामनरेश पाठक

Kavita Kosh से
Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:32, 8 अक्टूबर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामनरेश पाठक |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बजी डफली रे

गूँजा वन, पर्वत
गूँजी घाटी रे

बजी डफली रे

उमगी वन-पाँखी
उमगी छाती रे

बजी डफली रे

चंदा सुधि बिसरा
नन्हा मन बिखरा

बोली हँसुली रे
बजी डफली रे

पत्थर परदेसी
पग पग पर हहरा

बजी बाँसुरी रे
बजी डफली रे !