भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
थपकी और माँ / अर्चना कुमारी
Kavita Kosh से
Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:48, 23 अगस्त 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अर्चना कुमारी |अनुवादक= |संग्रह=प...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
गोद में माँ की दुबका हुआ बच्चा
ज्ञात-अज्ञात भय से
सो जाता है गहरी नींद
मुट्ठियों में भरकर आंचल की कोर
ठीक ऐसे ही महसूस किया
जब दिन का भय
रात संग गहराता गया
कोई याद आता
जैसे थपकियां दे रही हो माँ
वैसे ही आश्वस्ति
स्नेहिल आवाज में झिलमिल।