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अभी हज़ार जंग बाक़ी है / ब्रजमोहन
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अभी हज़ार जंग बाक़ी हैं, बाक़ी हैं हज़ारों इन्क़लाब
अभी तो आँखें ही पढ़ रही हैं ज़िन्दगी की किताब