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हाथों की व्याख्या / असद ज़ैदी
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अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:09, 29 जून 2008 का अवतरण
मैं व्याख्या करता हूँ ये मेरे हाथ हैं इन हाथों की मैं नहीं जानता कहाँ से आती है आवाज़
कुछ चीज़ें चींटियों की तरह चल कर आती हैं हाथ इंतजार में थक जाते हैं
कुछ चीज़ें तेज़ी से उड़ती हुयी ऊपर से गुज़र जाती हैं हाथ देखते रह जाते हैं
मैंने देख कर सारी रफ्तारॅ देख ली है ज़माने की रफ्तार मैं व्याख्या करता हूँ ये मेरी आँखे हैं इन आंखों की
ये आँखे सब कुछ देखने को तैयार हैं देखिये ये आँखे देख रही हैं - समय का चक्का घूम रहा है मैं नहीं जानता कहाँ से आती है आवाज़
मैं व्याख्या करता हूँ देखिये ये मेरा गला है मैं यहाँ से बोलना चाहता हूँ पर यह गला बहुत डरता है अपने ही हाथों से !