Last modified on 10 जुलाई 2008, at 01:39

आगे चल कर / कुमार रवींद्र

Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:39, 10 जुलाई 2008 का अवतरण (New page: KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुमार रवींद्र }} Category:गीत आगे चल कर इसी गली में सिद्धना...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

KKGlobal}}

आगे चल कर

इसी गली में

सिद्धनाथ मंदिर है, भाई


पहले यहाँ नहीं थी

ये सारी दूकानें

दिखती थी मंदिर की चोटी

सीधे इसी सडक से, मानें


अम्मा ने

इस मंदिर में ही

पिथरी थी हर साल चढाई


जोत आरती की दिपती थी

सडक-पार तक

हाथ जोडते थे उसको तब

इक्के पर जाते सवार भी


घर से ही

हमको देती थी

बमभोले की टेर सुनाई


हम छोटे थे

मंदिर से था सीधा नाता

मंदिर के पीछे थे चौकी -

गार्गी पहलवान का हाता


अब अपने

छज्जे से, भाई

कुछ भी देता नहीं दिखाई।