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मुक्तक-06 / रंजना वर्मा
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प्यार एहसास है रवानी है
सूर रसखान की जुबानी है।
प्यार है दास्तान राधा की
प्यार मीरा की जिन्दगानी है।।
साँवरे से जो प्रीत हो जाये
जिंदगी एक गीत हो जाये।
रूह का ईश से मिलन हो तो
ये नयी एक रीत हो जाये।।
मेरी भूल का आकलन हो गया
ह्रदय प्रेम का संकलन हो गया।
दिलों में जो थीं दूरियाँ मिट गयीं
कन्हैया से मन का मिलन हो गया।।
सारे एहसास बेख़बर रख दूँ
करके हर आह बेअसर रख दूँ।
फूल की ओस भरी पाँखों पर
प्यास के काँपते अधर रख दूँ।।
आत्मा से योग जो भगवान का कर दे
शून्य मन में जो उजाला शांति का भर दे।
देह से जो आत्म का संयोग करवाता
है वही योगी अमर आनन्द भास्वर दे।।