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तोहरे बिन व्याकुल / मनोज कुमार ‘राही’

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मनवाँ छै तोहरे बिन व्याकुल
हे ! ज्ञान के मैया !
एक तोहरा आस छै,
देखै के अभिलाषा छै
दिलवा में तोहरे छै मूरत,
हे ज्ञान के मैया
मनवाँ छै तोहरे

बरसों से बैठलोॅ छियौं
तोहरे बिनु विहवल छियौं
एक छै हमरोॅ अपनोॅ आस,
अबकी दर्शन दिहोॅ
मनवाँ छै तोहर

चोहू ओर अंधकार छै,
भंवर में फंसल पतवार छै,
नैया हमरोॅ करिहोॅ पार,
हे ज्ञान के मैया
मनवाँ छै तोहर

कथी केरोॅ अभिमान,
केकरा पेॅ गुमान
एक तोहीं छौं हमरोॅ भगवान,
विद्या के दे दिहोॅ दान
हे ज्ञान के मैया
मनवाँ छै तोहरे