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अटुट… / गीता त्रिपाठी

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जब शीर्षस्थ हुन्छौ तिमी
मेरा हरफहरू
गीत भएर बग्न थाल्छन्― तिमीतिरै
तिम्रो केन्द्रदेखि
मेरो परिधिसम्मको
अनन्त दूरीमा
लाग्छ,
बगिरहेछ युगौँदेखि
विश्वासको एक
अटुट नदी
पानी छउञ्जेल नदीमा
किनारहरू
सहयात्रामै हुन्छन् हरसमय
यही समयको
एउटा सहयात्री म
उमारेर
सम्पूर्ण स्मृतिका तरङ्गहरू
त्यही नदीमा
तिम्रो गीतको मीठो धुन
पर्खिरहनेछु … अटुट …