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शर्मनाक समय / मनमोहन

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कैसा शर्मनाक समय है

जीवित मित्र मिलता है

तो उससे ज़्यादा उसकी स्मृति

उपस्थित रहती है

और उस स्मृति के प्रति

बची-खुची कृतज्ञता

या कभी कोई मिलता है

अपने साथ ख़ुद से लम्बी

अपनी आगामी छाया लिए !