रवि सिन्हा

| जन्म | 1953 |
|---|---|
| जन्म स्थान | गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, भारत |
| कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
| पूंजी का वैश्वीकरण (1997), क्वेण्टम के सौ साल | |
| विविध | |
| ’न्यू सोशलिस्ट इनिश्येटिव’ संस्था के सक्रिय सदस्य। ’संधान’ पत्रिका के एक संस्थापक। भारत और दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं और भारत में वामपन्थ की चुनौतियों सम्बन्धी मार्क्सवादी अवधारणा के विषय पर अनेक निबन्धों के लेखक। विज्ञान के दर्शन और इतिहास पर अनेक निबन्धों के लेखक। | |
| जीवन परिचय | |
| रवि सिन्हा / परिचय | |
कुछ प्रतिनिधि ग़ज़लें
- दरिया वहीं बहता रहा मेरे तुम्हारे बाद / रवि सिन्हा
- बातों-बातों में बात कर आए / रवि सिन्हा
- ये ज़ब्त तो देखो के ज़ुबाँ कुछ ना कहे है / रवि सिन्हा
- यादों में ही आ उन्हें आने को कहूँगा / रवि सिन्हा
- बे-थाह समन्दर में सतह ढूँढ रहा हूँ / रवि सिन्हा
- पैदा हुए थे आतिशे-कुन के शरार में / रवि सिन्हा
- हाफ़िज़ा-ए-ज़िन्दगी है ज़िन्दगी से पेशतर / रवि सिन्हा
- बेआबरू जिस दर से निकाले हुए हैं हम / रवि सिन्हा
- ज़िन्दगी है तो कुछ सुकूँ भी हो, और कुछ इज़्तिराब भी होवे / रवि सिन्हा
- हर हुनर हासिल किया दिल में उतरने के सिवा / रवि सिन्हा
- रात अटकी है क़मर देखने वाले न गए / रवि सिन्हा
- जो दिल में हौसला होता तो ये अंजाम ना होता / रवि सिन्हा
- दिल गया इज़्तिराब बाक़ी है / रवि सिन्हा
- उनकी आँखों में दिखे है जो इशारा कोई / रवि सिन्हा
- / रवि सिन्हा
- / रवि सिन्हा