भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मन उदास बा / हरेश्वर राय
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ४ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:10, 8 फ़रवरी 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरेश्वर राय |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
सुखात नदी जस
मन उदास बा I
असरा के चान पर
लागल बा गरहन,
सपना के पाँखी प
घाव भइल बड़हन,
डेगे डेग पसरल
खाली पियास बा I
आँखी के बागी में
पतझड़ के राज बा,
मन के मुंडेरा प
गिर रहल गाज बा,
उदासी के गरल से
भरल गिलास बा I
हँसी के फूल प
उगल आइल शूल,
ख़ुशी के खेत में
जामल बबूल,
केकरा के कहीं गैर
के आपन ख़ास बा I