अंदर हे तूफान / उमेश बहादुरपुरी
सरल भाव से जीतना हमरा हे आसान।
न´् टकरइहा हमरा से अंदर हे तूफान।।
सोझा ले हम सोझ ही टेढ़ा ले हम टेढ़।
न´् बतिअइबऽ ठीक से खड़ा कर दबो बखेड़।
हाँथ मिला के देखऽ के हमरा से बलवान।। न´् ...
कब से धधक रहल हम्मर सीना के अंदर ज्वाला।
अमृत पी सकऽ हे सब हम पीअ ही विष के प्याला।
दंगल में कूदऽ त जानी के हमरा से हे पहलमान।। न´्....
जेतना सीधा समझऽ हऽ ओतना न´् ही भोला।
छू के देखऽ बस हमरा हम ही आग के गोला।
कोई जोड़ीदार मिले ई दिल के हरमान।। न´् ....
आँधी डरा सकऽ हे न´् न´् तूफाँ हरा सकऽ हे।
हमर अमर-कृति के कोय न´् कहियो जरा सकऽ हे।
तोहनी से पूछऽ ही के हमनिन से हे विदमान।। न´् ....
पीठ में छूरी भोंकऽ हऽ गीदड़ जैसन खोंखऽ हऽ।
आगू बढ़े ले चाहे जे ओक्कर रस्ता रोकऽ हऽ।
हमर समझ से तोहर जयचंद के हे खनदान।। न´् ....
अधगर गगरी छलकत जाय ताहरे धोती फलकत जाय।
दिल के तूँ हऽ गरीब बस नाम हो तोहर धनपत-राय।
हम दिल के दउलत के मालिक के हमरा से धनवान।। न´् ....