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न´् नजर आबऽ हे / उमेश बहादुरपुरी

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केकरा कही हम अप्पन हो भइया।
कोय न´् अप्पन नजर आबऽ हे।
घिर गेल चहूँओर काली रे बदरिया।
हमरा नजर न´् फजर आबऽ हे।। केकरा ....
चहूँओर घुरऽ हे चोर-बेइमनमा।
आय गेलय हाय राम जुल्मी-जमनमा।
हाय राम चलूँ अब कउने डगरिया।
हमरा नजर न´् डगर आबऽ हे।। घिर ....
कोय बात करे न´् धरम-ईमान के।
राज आ गेलइ डाकू-शैतान के।
चहूँओर लूटमार मच गेल भइया।
सगरो नजर अजगर आबऽ हे।। घिर ...
केकरा सुनाऊँ कोय सुन्नेवाला न´् हे।
केकरा गुनाऊँ कोय गुन्नेवाला न´् हे।
सब कोय बे-शरम भे गैले भइया।
कोय के न´् बतिया असर आबऽ हे।। घिर ...
सिधका डगरिया के कोय न´् रहिया।
कोय न´् अप्पन देसवा के सिपहइया।
केक्कर हँथवा में बागडोर दी हम।
कोय न´् नजर अकबर आबऽ हे।। घिर ...