भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पिया लेले अइहा / उमेश बहादुरपुरी
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ४ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:29, 11 मार्च 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGeet}} <poem> कोय मा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
कोय माँगे साया-साड़ी कोय कनवाली
माँगे कोय झुमका-बाली पिया लेले अइहा हो।
सिंदुरवा लाली पिया लेले अइहा हो।।
ताना रोज मारऽ हकय बड़की गोतिनियाँ।
ओकरो से जादे तोहर छोटकी बहिनियाँ।
पिया लेले अइहा हो खाली ओठ लाली।
पिया लेले अइहा हो ......
बड़ दिन के बाद देखम साँवली सुरतिया।
घुर-घुर इयाद आबे मोहनी-मुरतिया।
पिया लेले अइहा हो मेंहदी-लाली।
पिया लेले अइहा हो .....
जो काम धंधा मंदा होत कउनो न´् बात।
तोहरे जिनिगिया से हमर दिन-रात।
पिया चली आइहा हो चाहे रहे हाँथ खाली।।
पिया चली अइहा हो ......