भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

रवीना जैसन / उमेश बहादुरपुरी

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ४ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:09, 11 मार्च 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGeet}} <poem> तोर बह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तोर बहिनियाँ हथिन हमर साली।
तोहर किरिया हम न´् देही गाली।।
गाल इनखर गुलाबी नैन इनखर शराबी।
नजर न´् आबऽ हे इनखा में खराबी।
ऊ तर जइतइ जे बनतइ इनखर माली। तोहरे ....
चाल रीना जैसन बाल मीना जैसन।
इनखर लागे स्टाइल रवीना जैसन।
गजबे लागऽ हे इनखर ओठ लाली।। तोहरे ....
इनखर ऐसन शवाब गरम जैसन कवाब।
जान इनखा पर लुटावऽ हे नउका नवाब।
इनखा में सटतइ जे हो जइतइ ऊ खाली।। तोहरे ....
ई ऐसन हसीन जैसन एटीअम मशीन।
लागे इनखर मिजाज हमरा हे रंगीन।
ई बना देथिन हमरा गुंडा आउ मवाली।। तोहरे ....
ई साली हथिन माल बाली हथिन।
तोहरा निअन न´् बोतल खाली हथिन।
तनी बजवऽ मैडम कसके तूँ ताली।। तोहरे .....