शीर्षकहीन / बरीस गुमिन्यूक / राजेश चन्द्र
जब तुम साफ़ करते हो अपने हथियार
जब तुम बार-बार साफ़ करते हो अपने हथियार को
जब तुम मलते हो सुगन्धित तेल अपने हथियार पर
और बारिश में आड़ देते हो इसे अपने शरीर की
जब तुम कस कर लपेटते हो इसे किसी बच्चे की तरह
बावज़ूद कि कभी किसी बच्चे को लपेटा नहीं है तुमने इससे पहले
तुम केवल उन्नीस के हो, न बच्चा, न बीवी
तो हथियार ही बन जाता है तुम्हारा एकमात्र नातेदार
तुम और तुम्हारे हथियार में अब कोई फ़र्क नहीं है ।
जब तुम खोदते हो एक के बाद दूसरी खाई
जब तुम खोदते हो इस अनमोल इस घृणास्पद धरती को मुट्ठी दर मुट्ठी
हर दूसरी मुट्ठी पहुँचती है आत्मा तक तुम्हारी
तुम पीसते हो इस धरती को अपने दाँतों के बीच
अन्ततः, तुम्हारे पास कभी नहीं होगी दूसरी कोई
तुम चढ़ आते हो धरती पर
ठीक अपनी माँ की कोख की तरह
तुम रहते हो गर्म और चिपटे हुए
तुमने इतनी निकटता महसूस नहीं की थी इससे पहले
तुममें और धरती में अब कोई फ़र्क नहीं है ।
जब तुम गोलीबारी करते हो
बावज़ूद कि यह एक रात्रिकालीन संघर्ष हो
और तुम देख नहीं पा रहे अपने दुश्मन का चेहरा
बावज़ूद कि रात ने छिपा लिया हो दुश्मन को तुमसे
और तुमकोे दुश्मन से
और आलिंगन में ले लिया हो
तुममें से हरएक को लाड़ले की तरह
तुमसे गन्ध आती है बारूद की
तुम्हारे हाथ, चेहरा, बाल, कपड़े, तुम्हारे जूतों तक से
कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि तुम कितना धोते हो उन्हें —
उनसे आती रहती है गन्ध बारूद की
उनसे गन्ध आती है युद्ध की
तुमसे गन्ध आती है युद्ध की
तुम में और युद्ध में कोई फ़र्क नहीं है।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : राजेश चन्द्र