प्रार्थना / ईहातीत क्षण / मृदुल कीर्ति
ॐ
प्रार्थना केन्द्र बिन्दु, मौलिक भण्डार
से निःसृत वह दिव्य वसुधारा है,
जो मूल स्रोत से अनवरत प्रवाहमान है.
प्रार्थना भौतिकता और आध्यत्मिकता को जोड़ने वाला
सात्विक दिव्य सेतु बंधन है.
प्रार्थना ' परम 'से जोड़ने और जुड़ने वाले
ईहातीत क्षण हैं.
प्रार्थना मुक्त विदेह और प्रांजल चेतना को
अतिचेतना की ओर प्रवाहरत करने के प्रयास मय क्षण हैं.
प्रार्थना शरीर की गति और स्थिति,
मानसिक और आत्मिक संवेदना का संवरण है .
प्रार्थना अध्यात्म विषयक आत्मिक आध्यत्मिक विज्ञान
और सुषुप्त बल को जागृत कर परम से जुड़ने वाला प्राण है.
प्रार्थना नाम ,भाषा व् भावगत से तत्वगत
व् अपनी मूल पृथ्वी पर जाने वाली अनंत की यात्रा का
प्रथम और अनिवार्य पड़ाव है.
प्रार्थना जागृत आत्मा की आध्यात्मिक भाषा है.
प्रार्थना ज्ञानातीत एकत्व की महाभाव सत्ता का प्रसाद है.
प्रार्थना निराधार मन का आधार है.
बहिर्मुख आत्मा की यह तल्लीनता जाने कब
अंतर्मुख आत्मलीनता हो जाए.
आत्मलीनता जाने कब लवलीनता हो जाए.
प्रार्थना में एकाग्रता और ' परम ' के लिए तीव्र चाह हो तो निःसंदेह
लौ से लौ मिलकर एकाकार हो जाए.