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मैं तो अकेली राजा घर न लुटाऊँगी / मगही

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

मैं तो अकेली राजा घर न लुटाऊँगी, घर न लुटाऊँगी, नेग भी चलाऊँगी।

मैं तो अकेली राजा घर न लुटाऊँगी, सासु अइहें किया मोरा होइहें।

देवता मनाने अपनी मइया को बुराऊँगी, मैं तो अकेली राजा घर न लुटाउँगी।

गोतनी नहीं अइहें किया मोरा होइहें, हलुआ घाटन अपनी भाभी को बुराऊँगी।

मैं तो अकेली राजा घर न लुटाऊँगी, ननदी न अइहें किया मोरा होइहें।

काजर पारन को बहिनी को न बुलाउँगी, मैं तो अकेली राजा घर न लुटाऊँगी।