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छोटी / प्रभुदयाल श्रीवास्तव

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अभी उठा हूँ पुस्तक पढ़कर,
फिर भी कहते पढ़ो पढ़ो।
कितना भी पढता हूँ लेकिन,
बाबूजी चिल्लाते हैं।
नहीं पढाई करते इससे,
ही नंबर कम आते हैं।
डांट मुझे पड़ती सब कहते,
छोटी से मत लड़ो भिड़ो।
छोटी है चालाक बहुत ही,
अम्मा को फुसलाती है।
मेरे बारे में बापू से,
दो की चार लगाती है।
बापू बात नहीं सुनते हैं,
कहते सिर पर नहीं चढ़ो।
मुझे समझ में अब आया है,
छोटी सच में छोटी है।
खोटी नहीं चिलबिली है वह,
ज़रा अक्ल की मोटी है।
उसको समझाऊंगा बिट्टो,
आसमान में नहीं उड़ो।