Last modified on 29 मार्च 2020, at 13:01

मने दीवाली / प्रभुदयाल श्रीवास्तव

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:01, 29 मार्च 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रभुदयाल श्रीवास्तव |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

दीवाली में न हो गाली,
फुलझड़ियों से मने दीवाली।

खाना लड्डू लाई बताशे।
खूब बजाना ढोल पताशे।
चकरी और अनार चलाना।
खुद जलने से मगर बचाना।
उन मित्रो से भी मिल आना
जिनकी पड़ी जेब हो खाली।

अपने मित्रो के घर जाना।
एक-एक दीपक ले जाना।
उनके संग फुलझड़ी चलाकर
हँसते-हँसते गले लगाना।
भाई बहन मम्मी पापा संग,
खूब नाचना दे-दे ताली।

दलित बस्तियों में भी जाना।
अपने मित्रो को ले जाना।
कापी कलम किताबें लेकर,
उनके बच्चों को दे आना।
उनको भी फुलझड़ी दे आना,
तरह-तरह के रंगों वाली।