भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
तुरन्त / नोमान शौक़
Kavita Kosh से
Nomaan Shauque (चर्चा) द्वारा परिवर्तित 16:42, 14 सितम्बर 2008 का अवतरण (नया पृष्ठ: जहांतक जल्द हो सके<br /> बंद कर देनी चाहिये<br /> मक़तूल की आंखें<br /> वरना...)
जहांतक जल्द हो सके
बंद कर देनी चाहिये
मक़तूल की आंखें
वरना
सफ़ेदपोशों की तस्वीरें
जम जाती हैं
काली पुतलियों पर
तुरन्त !