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स्टील प्लान्ट / वरवर राव

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हमें पता है

कोई भी गाछ वटवृक्ष के नीचे बच नहीं सकता ।

सुगंधित केवड़े की झाड़ियाँ

कटहल के गर्भ के तार

काजू बादाम नारियल ताड़

धान के खेतों, नहरों के पानी

रूसी कुल्पा नदी की मछलियाँ

और समुद्रों में मछुआरों के मछली मार अभियान को

तबाह करते हुए

एक इस्पाती वृक्ष स्टील प्लांट आ रहा है ।


उस प्लांट की छाया में आदमी भी बच नहीं पाएंगे

झुर्रियाँ झुलाए बग़ैर

शाखाएँ-पत्तियाँ निकाले बग़ैर ही

वह घातक वृक्ष हज़ारों एकड़ में फैल जाएगा ।


गरुड़ की तरह डैनों वाले

तिमिगल की तरह बुलडोजर

उस प्लांट के लिए

मकानों को ढहाने और गाँवों को खाली कराने के लिए

आगे बढ़ रहे हैं ।


खै़र, तुम्हारे सामने वाली झील के पत्थर पर

सफ़ेद चूने पर लौह-लाल अक्षरों में लिखा है

"यह गाँव हमारा है, यह धरती हमारी है--

यह जगह छोड़ने की बजाय

हम यहाँ मरना पसन्द करेंगे" ।