भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कर्पूर गौरम करूणावतारम / श्लोक
Kavita Kosh से
59.164.41.38 (चर्चा) द्वारा परिवर्तित 22:24, 18 जनवरी 2009 का अवतरण
करपूर गौरम करूणावतारम
संसार सारम भुजगेन्द्र हारम |
सदा वसंतम हृदयारविंदे
भवम भवानी सहितं नमामि ||
मंगलम भगवान् विष्णु
मंगलम गरुड़ध्वजः |
मंगलम पुन्डरी काक्षो
मंगलायतनो हरि ||
सर्व मंगल मांग्लयै
शिवे सर्वार्थ साधिके |
शरण्ये त्रयम्बके गौरी
नारायणी नमोस्तुते ||
त्वमेव माता च पिता त्वमेव
त्वमेव बंधू च सखा त्वमेव
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव
त्वमेव सर्वं मम देव देव
कायेन वाचा मनसेंद्रियैर्वा
बुध्यात्मना वा प्रकृतेः स्वभावात
करोमि यध्य्त सकलं परस्मै
नारायणायेति समर्पयामि ||
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारे
हे नाथ नारायण वासुदेव |
जिब्हे पिबस्व अमृतं एत देव
गोविन्द दामोदर माधवेती ||